Hindi to Sanskrit Translations: Transforming Active to Passive and Impersonal Voice

इस blog post में हमलोग सीखेंगे कि Active to Passive and Impersonal Sanskrit Voice को Hindi to Sanskrit Translations कैसे बनाते हैं, Rules and Examples के साथ

Hindi to Sanskrit Translation

 

Hindi to Sanskrit Translations: Discover rules and examples of Voice

Sanskrit Active Voice Rules (कर्तृवाच्य नियम)

क्रिया कर्ता के अनुसार

कर्ता के अनुसार क्रिया होने से कर्ता प्रधान (उक्त)

कर्म के अनुसार क्रिया नहीं होने से कर्म अप्रधान (अनुक्त)

कर्ता प्रधान (उक्त) में – प्रथमाविभक्ति

कर्म अप्रधान (अनुक्त) में – द्वितीया विभक्ति


हिन्दी वाक्य

कर्तृवाच्य

सोहन चन्द्रमा देखता है।

सोहनः चन्द्रं पश्यति।

मैं तुम्हे देखता हूँ।

अहं त्वां पश्यामि।

तुमलोग उन्हें देखते हो।

यूयं तान् पश्यथ।

लड़के आम खाते हैं।

बालकाः आम्रम् खादन्ति।

लड़की पत्र लिखति है।

बालिका पत्रं लिखति।


Sanskrit Passive Voice Rules (कर्मवाच्य नियम)

क्रिया कर्म के अनुसार
कर्म के अनुसार क्रिया होने से कर्म प्रधान (उक्त)
कर्ता के अनुसार क्रिया नहीं होने से कर्ता अप्रधान (अनुक्त)
कर्म प्रधान (उक्त) में – प्रथमा विभक्ति
कर्ता अप्रधान (अनुक्त) में – द्वितीया
क्रिया पद में “य” का योग कर उसे आत्मनेपदी रूप बनाकर प्रयोग किया जाता है
यथा – पठति – पठ्यते

हिन्दी वाक्य

कर्मवाच्य

सोहन के द्वारा चन्द्रमा देखा जाता है।

 

मोहनेन चन्द्रः दृश्यते।

मेरे द्वारा तुम्हे देखा जाता है।

 

मया त्वं दृश्यते।

तुमलोगों के द्वारा उन्हें देखा जाता है।

 

युस्माभिः ते दृश्यन्ते।

लडकों के द्वारा आम खाया जाता है।

 

बालकै: आम्रं खाद्यते।

लड़की द्वारा पत्र लिखी जाती है।

 

बालिकया पत्रं लिख्यते।



Sanskrit Impersonal Voice (भाववाच्य नियम)

👉क्रिया भाव के अनुसार
👉भाव के अनुसार क्रिया होने से भाव प्रधान (उक्त)
👉भाववाच्य में कर्म नहीं होता है
👉भाववाच्य में कर्ता उक्त होने से उसमें सदैव तृतीया होती है
👉भाववाच्य के क्रिया में भी “य” लगाकर आत्मनेपद धातु रूप का प्रयोग किया जाता है
👉भाववाच्य में क्रिया हमेशा प्रथम पुरुष के एकवचन में ही होती है


हिन्दी वाक्य

कर्तृवाच्य

मैं हँसता हूँ।

अहम् हसामि।

तुम ठहरते हो।

त्वं तिष्ठसि।

लड़के रोते हैं।

बालकाः रुदन्ति।

वह हँसती है।

सा हसति।

वे लोग गाते हैं।

ते गायन्ति। 

 


हिन्दी वाक्य

भाववाच्य

मेरे द्वारा हँसा जाता है।

मया ह्स्यते।

तुम्हारे द्वारा ठहरा जाता है।

त्वया स्थीयते।

लडकों द्वारा रोया जाता है।

बालकै: रुद्यते।

उसके द्वारा हंसी जाती है।

तया हस्यते।

वे लोगों के द्वारा गाया जाता है।

तै: गीयते।


How to use past passive participles and past active participles (Suffix)


“क्त” और “क्तवतु” प्रत्यय का प्रयोग

 

Past passive participles (Suffix): Use in Hindi to Sanskrit Translations

 “क्त” प्रत्यय का प्रयोग

क्तनिष्ठा भूतकालिक क्रिया के लिए कृदन्तीय प्रत्यय “क्त” का प्रयोग होता है. “क्त” प्रत्यय का प्रयोग प्रायः कर्मवाच्य में होता है

यथा: गम् + क्त = गतः, गतम्, गता (तीनों लिंगों में)


हिन्दी वाक्य

कर्मवाच्य

उसके द्वारा पत्र लिखा गया

 

तेन पत्रं लिखितम्

गुरु के द्वारा धर्म समझाया गया

 

गुरुणा धर्मः बोधितः

मुझसे वहां नहीं हँसा गया है

 

मया तत्र न हसितम्

उसके द्वारा गीत नहीं गाया गया

 

तेन गीतं न गीतम्

लडकों द्वारा वहां क्या किया गया

 

बालकै: तत्र किम् कृतम्

राम के द्वारा बाली मारा गया

 

रामेण बालिः हतः

तुम्हारे द्वारा वहां क्या खरीदा गया

 

त्वया तत्र किम् क्रीतम्

अर्जुन कृष्ण के द्वारा समझाये गये

 

अर्जुनं कृष्णेन प्रबोधितम्

मेरे द्वारा कथा सुनी गयी

 

मया कथा श्रुता

तुम्हारे द्वारा गीत गाया गया

त्वया गीतं गीतम्


 


 Past active participles (Suffix)

“क्तवतु” प्रत्यय का प्रयोग

“क्तवतु” निष्ठा भूतकालिक क्रिया के लिए कृदन्तीय “क्तवतु” प्रत्यय का प्रयोग होता है “क्तवतु” प्रत्यय का प्रयोग कर्तृवाच्य में होता है यथा – गम् + क्तवतु = गतवान्, गतवत्, गतवता (तीनों लिंगो में)

क्तवतु (तवत् = वान्)


हिन्दी अनुवाद

कर्तृवाच्य

राम ने बाण से रावण को मारा

 

रामः बाणेन रावणं हतवान्

पिताजी अचानक जा चुके

 

पिताजीवः सहसा गतवान्

उसकी शंका दूर हो गई

 

तस्य शंका: गतवती

हमलोग घर पहुँच गये

 

वयं गृहं प्राप्तवन्तः

लड़का सो गया

 

बालकः सुप्तवान्

तुमने पुस्तक कहाँ रख दी

 

त्वं पुस्तकं कुत्र रक्षितवान्

मैंने नौकरों को वेतन दे दिया

 

अहम् भृत्येभ्यो वेतनं दत्तवान्

राधा ने हाथ समेट ली

 

राधा हस्तं संकोचितवति

वह निबन्ध लिख चूका

 

सः निबंधं लिखितवान्

लड़की महल से गिर गई

 

बालिका प्रासादात् पतितवती

 

 

Indeclinable Past Participle and Conjunctive Participle using with Sanskrit Translation

 क्तवा और ल्यप् प्रत्यय का प्रयोग (कर अर्थ में)


 Gerund or Indeclinable Past Participle (Suffix): Having

क्तवा प्रत्यय का प्रयोग (कर अर्थ में)


क्तवा ल्यप्श्च “क्तवा और “ल्यप्” प्रत्ययों का प्रयोग “कर” अर्थ में होता है किन्तु “ल्यप्” प्रत्यय के योग से बने धातुज शब्द में उपसर्ग का प्रयोग होता है यथा:

👉क्तवा – पठ् + क्तवा = पठित्वा = पढ़कर

👉गम् + क्तवा = गत्वा = जाकर

👉वि+ हा + ल्यप् = विहाय = छोड़कर

👉आ+ दा + ल्यप् = आदाय = लेकर


हिन्दी वाक्य

कर्तृवाच्य

भोजन कर मैं घर जाऊंगा।

 

भोजनं कृत्वा अहं गृहं गच्छामि।

संस्कृत पढ़कर मैं तुन्हें पढ़ाऊंगा।

 

संस्कृतं पठित्वा अहम् त्वां पाठयामि।

विद्यालय जाकर मैं तुमको पूछूँगा।

 

विद्यालयं गत्वा अहं पृच्छामि।

घर जाकर वह तुम्हे पढ़ाता है।

 

गृहं गत्वा सः त्वां पाठयति।

गेंद खेलकर वह विद्यालय जायेगा।

 

कन्दुकं क्रीडित्वा सः विद्यालयं गमिष्यति।

मुझको छोड़कर तुम कहाँ जाते हो।

 

माम् विहाय त्वं कुत्र गच्छसि।

विषय को समझकर मैं जाऊँगा।

 

विषयं अवगम्य अहं गच्छामि।

माता को प्रणामकर वह पढ़ेगा।

 

मातरं प्रणम्य सः पठिष्यति।

राधा से हँसकर वह बात करता है।

 

राधायाः विहस्य सः आलपयति।

शहर से आकर मैं खाना खाऊंगा।

 

नगरात् आगम्य अहं भोजनं खादिष्यामि।

 

 

हिन्दी वाक्य

कर्मवाच्य

भोजन कर मेरे द्वारा घर जाया जायेगा।

 

भोजनं कृत्वा मया गृहं गम्यते।

संस्कृत पढ़कर मेरे द्वारा तुम्हे पढ़ाया जायेगा।

 

संस्कृतं पठित्वा मया त्वं पाठ्यसे।

विद्यालय जाकर मेरे द्वारा तुम्हे पूछा जायेगा।

 

विद्यालयं गत्वा मया त्वं पृच्छयसे।

घर जाकर उसके द्वारा तुम्हे पढ़ाया जाता है।

 

गृहं गत्वा तेन त्वं पठ्यसे।

गेंद खेलकर उसके द्वारा विद्यालय जाया जायेगा।

 

कन्दुकं क्रीडित्वा तेन विद्यालयं गम्यते।

मुझको छोड़कर तुम्हारे द्वारा कहाँ जाया जाता है।

 

माम् विहाय त्वया कुत्र गम्यते

विषयको समझकर मेरे द्वारा जाया जायेगा।

 

विषयं अवगम्य मया गम्यते

माता को प्रणाम कर उसके द्वारा पढ़ा जायेगा।

 

मातरं प्रणम्य तेन पठ्यते

राधा से हँस कर उसके द्वारा बात किया जाता है।

 

राधायाः विहस्य तेन आलप्यते

शहर से आकर मेरे द्वारा खाना खाया जायेगा।

 

नगरात् आगम्य मया भोजनं खाद्यते



How to Use It as an Infinitive (To + Verb) in Hindi to Sanskrit translations

तुमुन् (तुम्) (के लिए”) के अर्थ में प्रयोग


Infinitive (To + Verb): Suffix - तुमुन् (तुम्) (“के लिए”) 


तुमुन् (तुम्) यदि क्रिया के साथ के लिए का योग हो और उसकी दूसरी क्रिया के साथ संबंध स्थापित हो तो पूर्व की क्रिया में तुमुन् प्रत्यय का योग होता है। यथा:

पठ् + तुमुन् = पठितुम्  = पढ़ने के लिए
दृश्य + तुमुन् = द्रष्टुम्  =  देखने के लिए
खाद् + तुमुन् = खादितुम्  =  खाने के लिए
गम् + तुमुन् = गन्तुम्  =  जाने के लिए


hindi sentence

hindi to sanskrit translation

वह पढ़ने के लिए विद्यालय जाता है।

 

सः पठितुम् विद्यालयं गच्छति

वह खाना खाने के लिए घर जाता है।

 

सः भोजनं खादितुम् गृहं गच्छति

तुम शहर देखने के लिए जाओगे।

 

त्वं नगरं दृष्ट्वा गमिष्यसि

वह तुम्हें जाने के लिए कहता है।

 

सः त्वां गन्तुम् कथयति

सीता को देखने के लिए लड़के आते हैं।

 

सीतां द्रष्टुम् बालकाः आगच्छन्ति

वह प्रतिदिन यहाँ अख़बार देने के लिए आता है।

 

सः प्रतिदिनं यत्र समाचारपत्रं दातुम् आगच्छति

वे लोग धन कमाना चाहते हैं।

 

ते धनं अर्जितुम् इच्छन्ति

ईश्वर भक्तों की रक्षा करने के लिए अवतार लेते हैं।

ईश्वरः भक्तान् रक्षितुम् अवतरति

वे लोग रामायण सुनने के लिए यहाँ आते हैं।

 

ते रामायणं श्रोतुम् अत्र आगच्छन्ति

मैं गेंद खेलने के लिए जाऊँगा।

 

अहम् कन्दुकं क्रीडितुम् गमिष्यामि



हिन्दी वाक्य

कर्मवाच्य

उसके द्वारा पढ़ने के लिए विद्यालय जाया जाता है।

 

तेन पठितुम् विद्यालयं गम्यते

उसके द्वारा खाना खाने के लिए घर जाया जाता है।

 

तेन भोजनं खादितुम् गृहं गम्यते

तुम्हारे द्वारा शहर देखने के लिए जाया जायेगा।

 

त्वया नगरं दृष्ट्वा गम्यते

उसके द्वारा तुम्हें जाने के लिए कहा जाता है।

 

तेन त्वां गन्तुम् कथ्यते

सीता को देखने के लिए लड़के द्वारा आया जाता है।

 

सीतां द्रष्टुम् बालकै: आगम्यते

उसके द्वारा प्रतिदिन यहाँ अख़बार देने के लिए आया जाता है।

 

तेन प्रतिदिनं यत्र समाचारपत्रं दातुम् आगम्यते

उनलोगों के द्वारा धन कमाना चाहा जाता हैं।

 

तै: धनं अर्जितुम् इच्छयते

ईश्वर के द्वारा भक्तों की रक्षा करने के लिए अवतार लिया जाता हैं।

ईश्वरेन भक्तान् रक्षितुम् अवतर्यते

उनलोगों के द्वारा रामायण सुनने के लिए यहाँ आया जाता हैं।

 

तै: रामायणं श्रोतुम् अत्र आगम्यते

मेरे द्वारा गेंद खेलने के लिए जाया जायेगा। 

 

मया कन्दुकं क्रीडितुम् गम्यते



How to Use Present Participles in the Sanskrit Voice?


Present Active Participle (ing) and Present Passive Participle (Being + v3)

शतृ और शानच् प्रत्यय का प्रयोग
शतृ शानच्  पढ़ता हुआ, खेलता हुआ, दौड़ती हुई, जाती हुई, आदि इस प्रकार के अर्थ को प्रकट करने के लिए परस्मैपदी धातु में “शतृ” (अत्) और आत्मनेपदी धातु में शानच्” (आन्-मान्) प्रत्यय का प्रयोग होता है। यथा:

Present Active Participle (ing): शतृपरस्मैपदी धातु रूप


👉गम् + शतृ = गच्छन् (पुल्लिंग)  = जाता हुआ
👉गम् + शतृ = गच्छती (स्त्रीलिंग) = जाता हुई
👉गम् + शतृ = गच्छत् (नपुंसकलिंग) = जाता हुआ/ जाता हुई



धातु

अर्थ

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

नपुंसकलिंग

भू 

 

होना

भवान्

भवन्ती

भवत्

पठ्

पढ़ना

पठन्

पठन्ती

पठत्

 

क्री

खरीदना

क्रीणान्

कृणती

क्रीणात्

 

क्रीड्

खेलना

क्रीडन्

क्रीडती

क्रीडत्

 

 

 

हिन्दी वाक्य

कर्तृवाच्य

दौड़ता हुआ बालक घर जाता है।

 

धावन् बालकः गृहं गच्छति

गाती हुई लड़की घर जाती है।

 

गायन्ती बालिका गृहं गच्छति

गरजता हुआ बाघ दौड़ा।

 

गर्जन् व्याघ्रः अधावत्

हँसते हुए लड़के जाते हैं।

 

हसन्तः बालकाः गच्छन्ति

खेलती हुई राधा जाती है।

 

क्रीडती राधा गच्छति




Present Passive Particile (Being + v3): शानच्आत्मनेपदी धातु रूप

सेव् + शानच् = सेवमानः (पुल्लिंग)  = सेवा करता हुआ
सेव् + शानच् = सेवमाना (स्त्रीलिंग)  = सेवा करती हुई
सेव् + शानच् = सेवमानम् (नपुंसकलिंग)  = सेवा करता हुआ / करती हुई



धातु

अर्थ

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

नपुंसकलिंग

मन्

 

मानना

मन्यमानः

मन्यमाना

मन्यमानम्

पच्

 

पकाना

पचमान:

पचमाना

पचमानम्

जन्

पैदा करना

 

जायमानः

जायमाना

जायमानम्

कम्प्

 

काँपना

कम्पमान:

क्म्पमाना

कम्पमानम्

वृत्

होना

 

वर्तमानः

वर्तमाना

वर्तमानम्

 

 

हिन्दी वाक्य

कर्तृवाच्य

गुरु की सेवा करता हुआ लड़का ज्ञान प्राप्त करता है।

गुरुं सेवमान: बालकः ज्ञानं लभते

 

चावल पकाता हुआ रसोइया सोता है।

 

ओदनं पचमान: पाचकः शेते

भिक्षा मांगता हुआ भिक्षु इधर-उधर देखता है।

 

भिक्षां याचमान: याचकः इतस्ततः पश्यति

भटकता हुआ मुर्ख कुआँ में गिरता है।

 

द्रन्द्म्यमाना: मूढाः कूपे पतिष्यन्ति

विद्वान् मानता हुआ वेद नहीं पढ़ता है।

 

मन्यमाना: विद्वांस: वेदं न पठन्ति



हिन्दी वाक्य

भाववाच्य

गुरुकी सेवा करता हुआ लड़का द्वारा ज्ञान प्राप्त किया जाता है।

गुरुं सेवमानेन बालकेन ज्ञानं लभ्यते

चावल पकाता हुआ रसोइया द्वारा सोया जाता है।

 

ओदनं पचमानेन पाचकेन शय्य्ते

भिक्षा मांगते हुए भिक्षु द्वारा इधर-उधर देखा जाता है।

 

भिक्षां याचमानेन याचकेन इतस्ततः दृश्यते

भटकता हुआ मुर्ख द्वारा कुआँ में गिरा जाता है।

 

द्र्न्दम्यमानै: मूढै: कूपे पतिष्यन्ते

विद्वान् द्वारा मानते हुए वेद नहीं पढ़ा जाता है।

 

मन्यमानै: विद्वद्भि: वेदं न पठ्यन्ते


 
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विशेष – शतृ (अत्) प्रत्ययान्त शब्दों के स्त्रीलिंग शब्द रूप बनाने हेतु लट् लकार प्रथम पुरुष के बहुवचन के जो रूप होते हैं, उसमें (डीप्) जोड़ा जाता है यथा:

👉पठन्ति + ई = पठन्ती
👉कूजन्ति + ई = कुजन्ती
👉गच्छन्ति + ई = गच्छन्ती
👉पूजयन्ति + ई = पुज्यन्ती

इस तरह के स्त्रीलिंग रूपों को शब्द रूप बनाने हेतु नदी के समान रूप चलते हैं यथा:


विभक्ति

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथमा

 

पठन्ती

पठन्त्यौ

पठन्त्यः

द्वितीया

 

पठन्तीम्

पठन्त्यौ

पठन्ती:

तृतीया

 

पठन्त्या

पठन्तीभ्याम्

पठन्तीभिः

चतुर्थी

 

पठन्त्यै

पठन्तीभ्याम्

पठन्तीभ्यः

पञ्चमी

 

पठन्त्या:

पठन्तीभ्याम्

पठन्तीभ्यः

षष्ठी

 

पठन्त्या:

पठन्त्यो:

पठन्तीनाम्

सप्तमी

 

पठन्त्यां

पठन्त्यो:

पठन्तीषु

संबोधन

 

हे ! पठन्ति

हे! पठन्त्यौ

हे! पठन्त्यः

 

Hindi to Sanskrit translations with future participles

स्यत्, स्यमान् (वाला अर्थ) प्रत्यय का प्रयोग

Future passive and active Participle (Suffix): Rules and Examples


स्यत् और स्यमान् संस्कृत में “वाला” अर्थ वाले अनुवाद बनाने के लिए भविष्यत काल (लृट् लकार) के प्रथम पुरुष के बहुवचन में शतृ (अत्) औरशानच् (मान्) प्रत्यय का योग होता है, जिसेस्यत् औरस्यमान् प्रत्यय कहते हैं यथा:


भविष्यन्ति + शतृ = भविष्यत् (स्यत्/ष्यत् प्रत्यय) = होने वाला/होने वाली


पठिष्यन्ति + शतृ = पठिष्यत् (स्यत्/ष्यत् प्रत्यय)  = पढ़ने वाला/पढ़ने वाली


भविष्यन्ति + शानच् = भविष्यमान् (स्यमान्/ष्यमान् प्रत्यय)  = होने वाला/होने वाली


पठिष्यन्ति + शानच् = पठिष्यमान् (स्यमान्/ष्यमान् प्रत्यय)  = पढ़ने वाला/पढ़ने वाली


शतृ प्रत्ययान्त स्त्रीलिंग शब्द रूप के समान ही इसका भी शब्द रूप बनेगा। यथा:


विभक्ति

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथमा

 

पठिष्यन्ती

पठिष्यन्तौ

पठिष्यन्त:

द्वितीया

 

पठिष्यन्तीम्

पठिष्यन्तौ

पठिष्यन्ती:

तृतीया

 

पठिष्यन्त्या

पठिष्यन्तीभ्याम्

पठिष्यन्तीभिः

चतुर्थी

 

पठिष्यन्त्यै

पठिष्यन्तीभ्याम्

पठिष्यन्तीभ्यः

पञ्चमी

 

पठिष्यन्त्या:

पठिष्यन्तीभ्याम्

पठिष्यन्तीभ्यः

षष्ठी

 

पठिष्यन्त्या:

पठिष्यन्त्यो:

पठिष्यन्तीनाम्

सप्तमी

 

पठिष्यन्त्यां

पठिष्यन्त्यो:

पठिष्यन्तीषु

संबोधन

 

हे ! पठिष्यन्ती

हे! पठिष्यन्त्यौ

हे! पठिष्यन्त्यः

 

 

Future Passive Participle (To be + v3) - Suffix: स्यत् प्रत्यय

“स्यत्” प्रत्यय से बने हुए शब्द विशेषण होते हैं, इसलिए विशेष्य के अनुसार इनमें लिंग, वचन और विभक्ति होते हैं

 

हिन्दी वाक्य

कर्तृवाच्य(संस्कृत)

पुस्तक पढ़नेवाली बालिका को मैंने देखा

 

पुस्तकं पठिष्यन्तीम् बालिकां अहम् अपश्यम्

खाना बनानेवाली लड़की को तुमने क्या बोला?

 

भोजनं पचिष्यन्तीम् बालिकां त्वं किम् अवद?

पानी भरनेवाली औरतों को तुमलोगों ने देखा

 

जलं कर्षिष्यन्तीम् नारी: यूयं अपश्य

पेड़ से गिरनेवाली फल को मैंने खाया

 

वृक्षात् पतिष्यन्त्या: फलं अहम् अखादम्

कलम से लिखनेवाली पुस्तिका को तुमने पढ़ा

 

कलमेन लिखिष्यन्त्या पुस्तिकाम् त्वं अपठ

 

 

hindi sentence

कर्मवाच्य

पुस्तक पढ़नेवाली बालिका मेरे द्वारा देखी गयी

 

पुस्तकं पठिष्यन्तीम् बालिका मया दृष्टा

खाना बनानेवाली लड़की को तुम्हारे द्वारा क्या बोली गयी?

भोजनं पचिष्यन्तीम् बालिका त्वया किम् वदिता?

पानी भरनेवाली औरतों को तुलोगों द्वारा देखी गयी

 

जलं कर्षिष्यन्तीम् नारी: युवाभ्याम् दृष्टा

पेड़ से गिरनेवाली फल को मुझसे खाई गयी

 

वृक्षात् पतिष्यन्त्या: फलं मया खादिता

कलम से लिखनेवाली पुस्तिका को तुझसे पढ़ी गयी

 

कलमेन लिखिष्यन्त्या पुस्तिकाम् त्वया पठिता

 

 

Future Active Participle (About to + Verb) - Suffix: “स्यमान्” प्रत्यय

“स्यमान्” प्रत्यय से बने हुए शब्द विशेषण होते हैं, इसलिए विशेष्य के अनुसार इनमें लिंग, वचन और विभक्ति होते हैं

 

हिन्दी वाक्य

संस्कृत अनुवाद - कर्तृवाच्य

गुरु की सेवा करनेवाले शिष्य को मैंने देखा

 

गुरुं सेविष्यमानं शिष्यं अहम् अपश्यम्

गाना गानेवाले गायक को हमलोगोंने सुना

 

गायनं गायमानं गायकं वयं श्रुतवान्

पीता की सेवा करनेवाले पुत्र को मैंने देखा

 

पितरं सेविष्यमानं पुत्रं अहम् अपश्यम्

भगवान को पूजा करनेवाले भक्त को मैंने देखा

 

ईश्वरं अर्चयमानं भक्तं अहम् अपश्यम्

छात्र को पढ़ानेवाले शिक्षक को तुमने देखा

 

छात्रं पाठ्यमानं शिक्षकं त्वं अपश्य

 

 

 

हिन्दी वाक्य

संस्कृत अनुवाद –कर्मवाच्य

गुरु की सेवा करनेवाले शिष्य को मुझसे देखा गया

 

गुरुं सेविष्यमानं शिष्य: मया दृष्टः

गाना गानेवाले गायक को हमलोगों द्वारा सुना गया

 

गायनं गायमानं गायक: अस्माभिः श्रुत:

पीता की सेवा करनेवाले पुत्र को मेरे द्वारा देखा गया

 

पितरं सेविष्यमानं पुत्र: मया दृष्टः

भगवान को पूजा करनेवाले भक्त को मुझसे देखा गया

 

ईश्वरं अर्चयमानं भक्त: मया दृष्टः

छात्र को पढ़ानेवाले शिक्षक को तुम्हारे द्वारा देखा गया

 

छात्रं पाठ्यमानं शिक्षक: त्वया दृष्टः

 

Gerundive and Obligatory Passive Participle(Suffix)

तव्यत्, तव्य और अनीयर् प्रत्यय का (चाहिए अर्थ में) प्रयोग

तव्यत्, तव्य और अनीयर् – विधिलिंग लकार और लोट् लकार की क्रिया को “तव्यत्”, “तव्य” और “अनीयर्” प्रत्यय के योग से कर्मवाच्य और भाववाच्य बनाया जाता है इन प्रत्ययों के योग में कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है और क्रिया के मूल रूप में “तव्यत्” और अनीयर्” प्रत्यय जोड़े जाते हैं यथा :

Passive Participle (Suffix): अनीयर् प्रत्यय

👉पठ् + अनीयर् = पठनीय: - पढ़ना चाहिए (पुल्लिंग)
👉पठ् + अनीयर् = पठनीया - पढ़ना चाहिए (स्त्रीलिंग)
👉पठ् + अनीयर् = पठनीयम् - पढ़ना चाहिए (नपुंसकलिंग)


Gerundive Participle (Suffix): तव्यत् और तव्य प्रत्यय

👉पठ् + तव्य/तव्यत् = पठितव्य: - पढ़ना चाहिए (पुल्लिंग)
👉पठ् + तव्य/तव्यत् = पठितव्या - पढ़ना चाहिए (स्त्रीलिंग)
👉पठ् + तव्य/तव्यत् = पठितव्यम् - पढ़ना चाहिए (नपुंसकलिंग)

इसका रूप पुल्लिंग में बालक, स्त्रीलिंग में लता और नपुंसकलिंग में फल के समान चलता है

 

हिन्दी अनुवाद

संस्कृत अनुवाद (कर्तृवाच्य)

मुझे पुस्तक पढ़ना चाहिए

 

अहम् पुस्तकं पठेयम्

राम को चन्द्रमा देखना चाहिए

 

रामः चन्द्रं पश्येत्

तुम्हे खाना खाना चाहिए

 

त्वं भोजनं खादे:

छात्र को विद्यालय जाना चाहिए

 

छात्रः विद्यालयं गच्छेत्

किसान को काम करना चाहिए

 

कृषकः कार्यं  कुर्यात्

 

 

 

Hindi translation

Sanskrit translation (कर्मवाच्य)

मुझसे पुस्तक पढ़ा जाना चाहिए

 

मया पुस्तक पठितव्य:/पठनीय:

राम के द्वारा चन्द्रमा देखा जाना चाहिए

 

रामेन चन्द्र: द्रष्टव्यः/दर्शनीय:

तुम्हारे द्वारा खाना खाया जाना चाहिए

 

त्वया भोजन: खादनीय:/खादित्व्य:

छात्र के द्वारा विद्यालय जाया जाना चाहिए

 

छात्रेन विद्यालय: गमनीय:/गन्तव्य:

किसान के द्वारा काम किया जाना चाहिए

 

कृषकेन कार्य: करणीय:/कर्तव्य:

 

 How to make causative verbs in Sanskrit


Sanskrit toHindi translation: णिच् प्रत्यय (प्रेरणार्थक क्रिया) का प्रयोग

णिच् – कर्ता जब स्वयं कार्य न करके किसी अन्य व्यक्ति से करवाता है तब क्रिया को “प्रेरणार्थक क्रिया” और “कर्ता” को प्रेरक कर्ता अथवा प्रयोजक कर्ता कहते हैं और धातु के साथ “णिच्” प्रत्यय का योग होता है  यथा:

Causative verb (Suffix): णिच् प्रत्यय (प्रेरणार्थक क्रिया)

➤पढ़ना (क्रिया) – पढ़ाना (प्रेरणार्थक क्रिया)
➤लिखना (क्रिया) – लिखवाना (प्रेरणार्थक क्रिया)
➤करना (क्रिया) – कराना (प्रेरणार्थक क्रिया)
➤पकना (क्रिया) – पकाना (प्रेरणार्थक क्रिया)
➤पकाना (क्रिया) – पकवाना (प्रेरणार्थक क्रिया)

 

धातु+ णिच्

प्रेरणार्थक परस्मैपद

प्रेरणार्थक आत्मनेपद

भू + णिच् (भवति)

भावयति

भावयते

अद् + णिच् (अत्ति)

आदयति

आदयते

पठ् + णिच् (पठति)

पाठयति

पाठयते

लिख् + णिच् (लिखति)

लेखयति

लेखयते

वद् + णिच् (वदति)

वादयति

वादयते

 


हिन्दी वाक्य

संस्कृत अनुवाद

हिन्दी वाक्य (प्रेरणार्थक)

अनुवाद (प्रेरणार्थक)

कृष्ण चाँद को देखता है

 

कृष्णः चन्द्रं पश्यति

श्याम कृष्ण को चाँद दिखाता है

 

श्यामः कृष्णम् चन्द्रं दर्शयति

श्याम भात पकाता है

 

श्याम: ओदनं पचति

कृष्ण श्याम से भात पकवाता है

 

कृष्णः श्यामेन ओदनं पाचयति

गीता खाना बनाती है

 

गीता भोजनं पचति

सीता गीता से खाना बनवाती है

 

सीता गीत्या भोजनं पाचयति

वह किताब पढ़ता है

 

सः पुस्तकं पठति

मैं उससे किताब पढ़वाता हूँ

 

अहम् तेन पुस्तकं पाठयति

राम काम करता है

 

रामः कार्यं करोति

देवदत राम से काम करवाता है

 

देवदतः रामेण कार्यं कार्यति

बालक गेंद खेलता है

 

बालकः कन्दुकं खेलति  

शिक्षक बालक से गेंद खेलवाते है

 

शिक्षकः बालकेन कन्दुकं खेलयति

रमेश हँसता है

 

रमेशः हसति

गणेश रमेश को हँसता है

 

गणेशः रमेशेन हासयति

राधा लेख लिखती है

 

राधा लेखं लिखति

गीता राधा से लेख लिखवाती है

 

गीता राध्या लेखं लेखयति

नौकर पेड़ काटता है

 

सेवकः वृक्षं छिनत्ति

मालिक नौकर से पेड़ कटवाता है

 

स्वामी सेवकेन वृक्षं छिनयत्ति

मजदूर काम करता है

 

श्रमिकः कार्यं करोति

किसान मजदूर से काम करवाता है

 

कृषकः श्रमिकेन कार्यं कारयति



Friends , उम्मीद करता हूँ की इस Blog Post में आप Hindi to Sanskrit Translations के रूप में sanskrit voice अच्छी तरह से समझ गए होंगे। इसी तरह का Unique Post पढ़ने के लिए हमारा साइट विजिट कर सकते हैं। Thank you so much! 



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